निर्यात ( विशिष्ट खरीदार )पॉलिसी ( बी डबल्यु पी )

निर्यातक के लिए निर्यात ऋण बीमा

निर्यात ( विशिष्ट खरीदार )पॉलिसी ( बी डबल्यु पी )

खरीदारवार पॉलिसियाँ – अल्पावधि (खरीदारवार पॉलिसी – अल्पा्वधि) विशिष्ट खरीदार को अल्पावधि ऋण पर किए गए माल के निर्यात में निहित वाणिज्यिक और राजनीतिक जोखिमों से भारतीय निर्यातकों को रक्षा प्रदान करने के लिए दी जाती हैं। जिस खरीदार के संबंध में पॉलिसी जारी की गई है, को किए जानेवाले सभी पोतलदानों के लिए रक्षा प्राप्त करनी होगी (साख पत्र पर किए जानेवाले पोतलदानों को अपवर्जित करने की अनुमति के प्रावधान सहित)। ये पॉलिसियाँ निम्नलिखित द्वारा ली जा सकती है,

  • निर्यातक, जिन्होंने शिपमेंट व्यापक जोखिम पॉलिसी नहीं ली है
  • निर्यातक जिन्होंने शिपमेंट व्यापक जोखिम पॉलिसी ली है,
  • यदि खरीदार/रों को किए जानेवाले विचाराधीन सभी पोतलदानों को शिपमेंट व्यापक जोखिम पॉलिसी के सीमा क्षत्र से अपवर्जित करने की अनुमति प्रदान की गई है।

विभिन्न प्रकार की खरीदारवार (अल्पावधि) पॉलिसी क्या हैं ?

  • खरीदारवार (वाणिज्यिक व राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी – अल्पावधि
  • खरीदारवार (राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी अल्पावधि
  • खरीदारवार (साख पत्र खोलने वाले बैंक के दिवालिया होने या चूक करने तथा राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी – अल्पावधि

खरीदारवार (अल्पावधि) पॉलिसी के अंतर्गत जोखिमों को संरक्षित किया जाता है :


पॉलिसी के अंतर्गत शिपमेंट की तिथि से निम्नलिखित जोखिमों को रक्षा प्रदान की जाती है:


क़ वाणिज्यिक जोखिम


I. विदेशी खरीदारों पर रक्षित जोखिम :

  • खरीदार का दिवालिया होना।
  • खरीदार द्वारा निर्धारित अवधि में भुगतान करने में विफलता जो साधारणतया देय तारीख से 4 माह तक होती है।
  • कुछ शर्तों के अधीन खरीदार द्वारा वस्तुओं को स्वीकार न करना।

II.साख – पत्र खोलने वाले बैंक का जोखिम :

  • साख – पत्र खोलने वाले बैंक का दिवालिया होना।
  • साख – पत्र खोलने वाले बैंक द्वारा निर्धारित अवधि में भुगतान करने में विफलता जो साधारणतया देय तारीख से 4 माह तक होती है।

ख़ राजनीतिक जोखिम

  • खरीदार के देश की सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाना या कोई अन्य सरकारी कार्रवाई जिससे खरीदार द्वारा किए गए भुगतान अंतरण में अवरोध या विलम्ब उत्पन्न हो,
  • खरीदार के देश में युद्‌ध, गृह युद्‌ध, क्रांति या नागरिक उपद्रव। नये आयात प्रतिबंध अथवा वैध आयात लाईसेंस रद्‌द किया जाना।
  • भारत के बाहर समुद्री यात्रा में रूकावट या मार्ग परिवर्तन जिसके फलस्वरूप भाड़े या बीमा शुल्क की ऐसी अतिरिक्त अदायगी जिसकी राशि खरीदार से वसूल नहीं की जा सकती,
  • भारत से बाहर होने वाली क्षति का कोई ऐसा कारण जिसके लिए साधारण बीमाकर्ता द्वारा संरक्षण प्रदान नहीं किया जाता है और जो निर्यातक और खरीदार दोनों के नियंत्रण के परे हो।

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