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ईसीजीसी लिमिटेड (पूर्व में भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम लिमिटेड) की स्थापना भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व में निर्यातों के लिए ऋण जोखिम बीमा तथा संबंधित सेवाएं प्रदान करते हुए देश से किए जाने वाले निर्यातों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 1957 में की गई थी। यह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है एवं इसका प्रबंधन सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकिंग और बीमा एवं निर्यात समुदाय के प्रतिनिधियों वाले निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है। विगत कई वर्षों में इसने भारतीय निर्यातकों और निर्यात ऋण प्रदान करने वाले वाणिज्यिक बैंकों की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न निर्यात ऋण जोखिम बीमा उत्पाद विकसित किए हैं। ईसीजीसी मूल रूप से एक निर्यात संवर्धन संगठन है, जो भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए उन्हें बीमा रक्षा प्रदान करते हुए निरंतर प्रयासरत है। ईसीजीसी अपनी प्रीमियम दरों को काफी किफ़ायती रखता है।
ईसीजीसी के कार्य ?
- निर्यातकों को वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में होने वाले हानि पर ऋण जोखिम बीमा रक्षा के विभिन्न विकल्प उपलब्ध कराता है।
- निर्यात ऋण बीमा बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रक्षा प्रदान करता है ताकि निर्यातक बेहतर सुविधाएं प्राप्त कर सकें।
- इक्विटी या ऋण के रूप में विदेशों में संयुक्त उद्यमों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों को विदेशी निवेश बीमा प्रदान करता है ।
ईसीजीसी निर्यातकों को किस प्रकार सहायता प्रदान करता है?
ईसीजीसी निर्यातकों को भुगतान जोखिमों पर बीमा सुरक्षा प्रदान करता है।
- निर्यात-संबंधी गतिविधियों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- अपने स्वयं के ऋण रेटिंग के साथ विभिन्न देशों पर जानकारी उपलब्ध करवाता है।
- बैंकों / वित्तीय संस्थानों से निर्यात वित्त प्राप्त करना आसान बनाता है।
- अशोध्य ऋणों की वसूली में निर्यातकों की सहायता करता है।
- विदेशी खरीदारों की ऋण-पात्रता पर जानकारी प्रदान करता है।
निर्यात ऋण बीमा की आवश्यकता
निर्यातों को हमेशा ही भुगतान संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ता है। विश्वव्यापी राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तनों के कारण इन जोखिमों ने व्यापक रूप धारण कर लिया हैं। युद्ध अथवा गृह युद्ध के कारण निर्यातित माल का भुगतान अवरुद्ध हो सकता है या अथवा विलंबित हो सकता है। क्रांति अथवा विद्रोह से भी यही परिणाम हो सकते हैं। आर्थिक कठिनाइयां अथवा भुगतान संतुलन समस्याओं के कारण कोई देश कुछ वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध लगाने अथवा आयातित माल के भुगतान के अंतरणों पर प्रतिबंध लगा सकता है। इसके अतिरिक्त निर्यातक को खरीदार के दिवालियापन अथवा दीर्घकालिक चूक के कारण वाणिज्यिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक व आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी खरीदार के दिवालिया हो जाने अथवा उसकी भुगतान क्षमता खोने की आशंका अधिक हो जाती है। निर्यात ऋण बीमा, निर्यातकों को राजनीतिक अथवा आर्थिक जोखिम के कारण भुगतान न होने के जोखिम पर रक्षा प्रदान करती है तथा हानि के भय के बिना अपने विदेशी कारोबार को विकसित करने में सहायता करती है। आगे