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1947 में स्वतंत्रता के उपरांत तत्काल ही निर्यात संवर्धन की आवश्यकता प्रतीत हुई। 1953 में, , वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के निर्यात सलाहकार परिषद द्वारा एक बैठक में निर्यात ऋण बीमा योजना के पक्ष-विपक्ष का गहन विश्लेषण किया गया तथा निर्यात ऋण गारंटी योजना आरंभ किए जाने का प्रस्ताव रखा गया एवं तदुपरान्त 1955 में इस योजना का एक संशोधित मसौदा प्रस्ताव निर्यात सलाहकार परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री श्री टी. टी. कृष्णमाचारी द्वारा निर्यात ऋण जोखिमों पर बीमा प्रदान करने हेतु एक प्रभावी संगठन की स्थापना की व्यवहार्यता की जाँच हेतु श्री टी. सी. कपूर की अध्यक्षता में एक विशेष समिति नियुक्त की गयी । सरकार द्वारा कपूर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया तथा इस प्रकार दिनांक 30 जुलाई 1957 को मुंबई में कंपनी अधिनियम के अधीन 5 करोड़ रुपये की प्राधिकृत पूंजी तथा 25 लाख रुपये की चुकता पूंजी के साथ निर्यात जोखिम बीमा निगम (ईआरआईसी) को एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया, जो पूर्ण रूप से राज्य के स्वामित्व वाली थी । श्री रतिलाल एम. गांधी निगम के पहले अध्यक्ष तथा श्री टी. सी. कपूर निगम के पहले प्रबंध निदेशक थे। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री मोरारजी देसाई द्वारा ईआरआईसी का उद्घाटन किया गया एवं दिनांक 14 अक्टूबर 1957 को पहली पॉलिसी जारी की गई।
1962-64 की अवधि के दौरान बैंकों को बीमा रक्षा प्रदान किए जाने के बाद, 1964 में ईआरआईसी का नाम बदलकर एक्सपोर्ट क्रेडिट एंड गारंटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड कर दिया गया। वर्ष 1983 में उक्त नाम को बदल कर एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ( भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम लिमिटेड ) कर दिया गया। तत्पश्चात , अगस्त 2014 में इसका नाम पुनः बदलकर ईसीजीसी लिमिटेड किया गया।