ई सी जी सी क्या है ?

भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम लिमिटेड (ईसीजीसी) भारत सरकार का उद्यम है जो भारतीय निर्यातकों एवं वाणिज्यिक बैंकों को निर्यात ऋण बीमा प्रदान करता है। यह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन कार्य करता है और इसका प्रबंधन भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैक, बैकिंग, बीमा व निर्यात समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलकर बने निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है। समय के साथ निगम ने भारतीय निर्यातकों एवं वाणिज्यिक बैंकों की आवश्यकताओं अनुरूप विभिन्न निर्यात ऋण जोखिम बीमा उत्पाद विकसित किए हैं। ईसीजीसी राष्ट्री य निर्यातों को सुरक्षा प्रदान करने वाला विश्व का सातवां सबसे बड़ा ऋण बीमाकर्ता है। वर्तमान में कंपनी की चुकता पूँजी 1200 करोड़ रू है व प्राधिकृत पूँजी 5000 करोड़ रू है।

निगम मूलरूप से देश के निर्यात को प्रोत्साहन देने वाली संस्था है। इसका प्रयत्न है कि यह भारतीय निर्यातकों को ऋण बीमा प्रदान कर अन्य देशों के उनके प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले उनकी प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाए। जहॉं तक संभव है निगम अपनी प्रीमियम दरें न्यू‍नतम रखता है।

ई सी जी सी क्या करता है ?

  • निर्यातकों को उनके माल व सेवाओं के निर्यात में हुई हानि पर ऋण जोखिम बीमा रक्षाओं की शृंखला प्रदान करता है ।
  • निर्यातक, बैंकों को निर्यात ऋण बीमा रक्षा व वित्तीय संस्थानों से बेहतर सुविधाएँ प्राप्त कर सकें इसलिए बैंकों व वित्तीय संस्थानों को गारंटियाँ प्रदान करता है ।
  • उन भारतीय कंपनियों को विदेशी निवेश बीमा प्रदान करता है जो विदेशों में इक्वींटी अथवा ऋण के रूप में संयुक्त उद्यमों में निवेश करते हैं ।

निर्यातकों की किस तरह सहायता करता है ?

  • निर्यातकों को भुगतान जोखिमों पर बीमा सुरक्षा प्रदान करता है ।
  • निर्यात संबंधी क्रिया कलापों में मार्गदर्शन प्रदान करता है ।
  • अपनी ऋण रेटिंग से विभिन्न देशों पर जानकारी उपलब्ध कराता है ।
  • बैंकों / वित्तीय संस्थानों से निर्यात वित्त प्राप्त करना आसान बनाता है ।
  • अशोध्य ऋणों की वसूली करने में निर्यातकों की सहायता करता है ।
  • विदेशी खरीदार की उधार पात्रता पर जानकारी देता है ।

निर्यात ऋण बीमा की आवश्यकता

अच्छे समय में भी निर्यात के भुगतानों के जोखिम बने रहते हैं। राजनीतिक व आर्थिक परिवर्तन जो विश्व का सफाया कर रहे हैं के कारण आज बड़ी मात्रा में जोखिम संभावित है। युद्‌ध अथवा गृह युद्‌ध छिड़ने के कारण निर्यात किए गए माल के भुगतान में अवरोध या विलंब उत्पन्न हो सकता है। आकस्मिक शासन परिवर्तन अथवा बगावत से भी ऐसे ही परिणाम हो सकते हैं। आर्थिक कठिनाईयाँ अथवा भुगतान संतुलन की समस्या भी देश को कुछ वस्तुओं के आयतों पर अथवा आयात किए गए माल के भुगतान के अंतरण में प्रतिबंध लगा सकते हैं। इसके अलावा निर्यातक को खरीदार के दिवालिया होने अथवा दीर्घकालिक चूक संबंधी वाणिज्यिक जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक व आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी खरीदार दिवालिया होने अथवा अपने कुल भुगतानों की अदायगी करने की क्षमता खोने से वाणिज्यिक जोखिम उत्पन्न हो सकते है। निर्यात ऋण बीमा, निर्यातकों को राजनीतिक व वाणिज्यिक दोनों जोखिमें के परिणामों से रक्षा करने तथा निर्यातक अपना विदेशी व्यापार बिना किसी भय व हानि के बढ़ा सके इसलिए बनाया गया है । आगे